Tuesday, July 21, 2020

मध्य प्रदेश में 14 फीसद से ज्यादा ओबीसी आरक्षण पर हाई कोर्ट की रोक कायम



मध्य प्रदेश में 14 फीसद से ज्यादा ओबीसी आरक्षण पर हाई कोर्ट की रोक कायम

 मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 14 फीसद से अधिक आरक्षण पर पूर्व में लगाई गई रोक बरकरार रखी है। जबलपुर स्थित मुख्य पीठ के प्रशासनिक न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस बीके श्रीवास्तव की युगलपीठ ने राज्य शासन को इस शर्त पर शिक्षक चयन प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी है कि इस प्रक्रिया को अंतिम रूप नहीं दिया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी। जबलपुर निवासी छात्रा आकांक्षा दुबे व अन्य ने मप्र सरकार के आठ मार्च 2019 को जारी संशोधन अध्यादेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। इसमें कहा गया कि संशोधन के कारण प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़कर 27 फीसद हो गया है। इससे कुल आरक्षण का प्रतिशत 50 से बढ़कर 63 हो गया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत किसी भी सूरत में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता।

राजस्थान निवासी शांतिलाल जोशी सहित पांच छात्रों ने एक अन्य याचिका में कहा कि 28 अगस्त 2018 को मप्र सरकार ने 15,000 उच्च माध्यमिक स्कूल शिक्षकों के लिए विज्ञापन प्रकाशित कर भर्ती परीक्षा कराई। 20 जनवरी 2020 को इस संबंध में सरकार ने इन पदों पर भी 27 फीसद ओबीसी आरक्षण लागू करने की नियम निर्देशिका जारी कर दी। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने दलील दी कि भर्ती प्रक्रिया 2018 में आरंभ हुई, लेकिन राज्य सरकार ने 2019 का अध्यादेश इसमें लागू किया। यह अनुचित है।

2019 में हाई कोर्ट स्थगित कर चुकी है आदेश

अधिवक्ता आदित्य संघी ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि मप्र हाइ कोर्ट ओबीसी आरक्षण 14 फीसद से बढ़ाकर 27 फीसद करने का आदेश 2019 में स्थगित कर चुकी है। इसलिए किसी भी सरकारी भर्ती या शैक्षणिक प्रवेश प्रक्रिया में 14 प्रतिशत से अधिक ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

मेडिकल प्रवेश पर लगाई थी रोक

19 मार्च 2019 को कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश में 14 फीसद से अधिक ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी। इसी आदेश को बरकरार रखते हुए कोर्ट ने 28 जनवरी को एमपीपीएससी की करीब 400 भर्तियों में भी ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर अंतरिम रोक लगा दी थी। आदेश वापस लेने का आग्रह हाई कोर्ट ने नहीं माना उक्त आदेश को वापस लेने के सरकार के आग्रह को सोमवार को हाई कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया। राज्य सरकार की ओर से उप-महाधिवक्ता आशीष आनंद बर्नाड ने पक्ष रखा। सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को इस शर्त पर उक्त भर्ती प्रक्रिया जारी रखने के निर्देश दे दिए कि चयन प्रक्रिया को हाई कोर्ट में याचिका लंबित रहने तक अंतिम रूप नहीं दिया जाएगा।

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