राष्ट्रपतींच्या हस्ते १९७४ मध्ये ३ बहादूर मेंढपाळ राष्ट्रीय शौर्य पुरस्काराने सन्मानित
दिनांक १९ डिसेंबर १९७४ च्या मध्यरात्री २ वाजता श्री. जीवनजी देवासी, श्री सूरजमलजी देवासी आणि शैतानजी देवासी या तीन राजस्थानी मेंढपाळानी मध्यप्रदेशातील सागर जिल्ह्यात मानगढ़ जंगलात लपुन बसलेल्या सशस्त्र डाकूंचा अड्डा उद्ध्वस्त करुन मुसक्या आवळल्या होत्या. म्हणून त्यांना दिनांक ९ एप्रिल १९७७ रोजी राष्ट्रपति बी डी जत्ती यांच्या हस्ते राष्ट्रीय शौर्य पुरस्काराने सन्मानित केले.श्री जीवन, पुत्र श्री बिजा जी रेवाड़ी, ग्राम शेरगढ़, पुलिस चौकी मसूदा, जिला अजमेर, (राजस्थान) १९ दिसम्बर, १९७४ की रात को करीब २ बजे श्री बसना पूत्र मन्द्र राम रेवाड़ा, ग्राम वसना, जिला उदयपूर (राजस्थान) ने पुलिस चौकी मानगढ़, जिला सागर में रिपोर्ट की कि रात को तीन सशस्त्र डाकू आये और उन्होंने उसके तीन चरवाहे साथियो को उनके गाँव देवाल के कैम्प में पकड़ा और बन्दूक दिखाकर उनसे ५,००० रुपये को मांग की। जब उन्होंने अपनी असमर्थता व्यक्त की तो डाक उन्हें नजदीक के देवाल जंगल में ले गये। स्टेशन अफसर और अंचल निरीक्षक मौजूदा जवानों के साथ रैवाड़ियों (राजस्थान के भेड़ चरवाहे) के कैम्प में गये जहां उन्हें मालूम हुआ कि बदमाशों ने सूरजमल, जीवन और शैतान का अपहरण कर लिया है।
पुलिस दल जब देवाल गांव की ओर जा रहा था तो डाकुओं ने झाड़ियों के पीछे से उस पर गोली चलाई और तीनों व्यक्तियों को घसीटते हुए जंगल में भाग निकले। यद्यपि अपहृत व्यक्तियों को कैद किया गया था फिर भी उन्होंने अापस में डाकुओं पर काबू पाने और उनके हथियार छीनने की योजना बनाई। इस प्रकार ये तीनों व्यक्तितोनों डाकुनों पर झपटे, उन्होंने उनके हथियारों को छीना, उन्हें जमीन पर पटका और दिसम्बर की कड़ाके की
समय केवल शारीरिक बल से उन्हें चट्टानों और झाड़ियों पर पटकना शुरू कर दिया। डाकुओं के सिर और चेहरे पर चोटें आई। इस बीच अपहृत व्यक्तियों ने अपनी पगड़ियां उतार कर बदमाशों के हाथ बांधे और मदद के लिये अपने अन्य साथियों को आवाज दी । अन्य रैवाड़ियों के साथ पुलिस दल घटनास्थल पर पहुंचा
और उसने तीनों डाकूयों को उनके हथियार तथा गोलाबारूद सहित अपने कब्जे में ले लिया। इनमें से एक डाकू दो वर्षों से फरार था और उसकी गिरफ्तारी के लिये 1,000 रुपये का पुरस्कार रखा गया था।
आज आप के सामने मै देवासी समाज के तिन शूरवीरो के बारे में जानकारी प्रस्तुत कर रहा हूँ !जरूर पढ़े और शेयर करे श्री जीवन जी पुत्र श्री बीजाराम जी देवासी ,श्री सूरजमल जी देवासी पुत्र श्री बीजाराम जी देवासी गांव शेरगढ़ (मसूदा)अजमेर एंव श्री शैतान जी देवासी पुत्र श्री सरकार जी देवासी गांव पालड़ी (आसीन) भीलवाड़ा ने इनामी हत्यारबन्ध #डाकुओं ने 5000 रूपये की फिरोती मांगी देवासियो ने फिरोती देने से मना कर दिया तभ डाकुओ ने इन तीनो का बन्दूको के बल पर अफरण कर लिया जब पुलिस ने छुड़ाने की कोशिस की तो डाकुओ ने उन पर भी फायर खोल दिए , इन तीनो शुर वीरो को लगा की अभ इनको कोई नही बचा सकता हो उस सर्दी की ठंडी रात्रि को खुद ने ही अपनी सूझबूझ से डाकुओ के हत्यार छीनकर सिर्फ अपने शरीक बल से पिट पीटकर अधमरा करने के बाद अपने दूसरे साथियो और पुलिस को बुलाकर गिरफ्तार करवाया उन डाकुओ में से एक डाकू पर 1000 रुपये की इनामी राशि भी थी ये घटना 19 दिसम्बर 1974 मानगढ़ (सागर) मध्यप्रदेश की हे।।
1. इसलिए श्री जीवन जी देवासी , श्री सूरजमल जी देवासी और शैतान जी देवासी को भारत के आदरणीय रास्ट्रपति श्री बसप्पा दनप्पा जत्ती जीने सन्मानित किया।
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