Thursday, September 24, 2020

केंद्र शासनाचे कामगारविरोधी मालकधार्जिणे धोरण

 केंद्र शासनाचे कामगारविरोधी मालकधार्जिणे धोरण : भगवानराव ढेबे

राष्ट्रीय समाज संघटित असंघटित कामगार फ्रंटची घणाघाती टीका

नवीमुंबई  :  आबासो पुकळे 

शास कामगारविरोधी मालकधार्जिणे धोरण राबवत असल्याची घणाघाती टीका, राष्ट्रीय समाज संघटित असंघटित कामगार फ्रंटचे संस्थापक अध्यक्ष कामगार नेते भगावानरावजी ढेबे यांनी केली आहे. नवी मुंबई कळंबोली येथे श्री. ढेबे बोलत होते.

श्री. ढेबे पुढे म्हणाले, शेतकरी विरोधी धोरण राबवल्यानंतर बहुमताच्या जोरावर लगेचच कामगार विरोधी धोरण राबवण्याचा सपाटा केंद्र शासनाकडून सुरु आहे. केंद्र शासनाच्या कामगार विरोधी धोरणाचा राष्ट्रीय समाज संघटित असंघटित कामगार फ्रंट  जाहीर निषेध करत आहे. दिवंगत प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयींच्या काळात कामगारविरोधी बील आणण्याचा प्रयत्न केला होता, त्यावेळी प्रमुख राजकीय पक्षांनी विरोध केला होता. देशातील कामगारांनी संसदेला घेराव घातला होता. आता मात्र केंद्र शासनाने बहुमताच्या जोरावर कामगार विरोधी कायदे पारित केले आहेत, त्यास आमचा पूर्णपणे विरोध आहे. किमान वेतनाबाबत केंद्र शासनाने निर्णय घेणे आवश्यक होते, परंतु कायमस्वरूपी कामगारांना कंत्राटी पद्धतीने ठेवण्याची मुभा कंपन्यांना देण्यात आली आहे. लवकरच राज्यातील कामगार संघटना संयुक्तपणे  केंद्रशासनाच्या धोरणा विरुद्ध आंदोलन उभारतील.  संयुक्त कामगार संघटना कृती समिती आंदोलनाची दिशा ठरवेल.

Monday, September 14, 2020

वंचितो की आवाज भागवत पाल

 भागवत पाल जी की पुण्यतिथि पर विशेष



 वंचितो की आवाज भागवत पाल


 खुद चलकर वंचितो की आवाज बनकर दूर तक चलना सिखाया                                                                               

मनोज पाल वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि महान व्यक्तित्व हालातो की ऑच मे तपकर महान बनते है । संघर्षो का बीडा उठाकर चलने वाले समाज मे नया कीर्तिमान स्थापित कर आने वाली पीढियो को सच्ची प्रेरणा प्रदान करते रहते है। देश की आजादी के बाद तो घोर जातिवाद के चंगुल मे फंसे हिन्दुस्तान का दबा–कुचला तबका कराह रहा था । उन्हे सियासत की मुख्यधारा मे आने का हक संविधान के पन्नो तक ही सीमित था व्यवहार मे उन्हे हेय दृष्टि से देखा जाता था वंचितो के लिए मुख्यधारा की राजनीति मे आना बडा दुश्कर कार्य समझा जा रहा था उसमे शामिल होने के लिए कोई सपना तो देख सकता था लेकिन हिम्मत जुटाना मुश्किल था।


समाज का मसीहा जब जन्म लिया मिर्जापुर की धरती पर

                                                           

ऐसे दौर मे उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद के के मझवा विकासखंड के केवटाबीर गांव मे शंभूनाथ पाल और सुखदेवी के आंगन मे एक बालक का जन्म हुआ। घरवालो ने नाम रखा भागवत ।


भागवत पाल बचपन से बहुमुखी प्रतिभा और राजनीतिक कुशलता के धनी थे

भागवत बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । समाज मे उॅच नीच की बढती खाई के बीच भागवत पाल ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय मे पूरी की  । समाज मे विसंगतियो की भरमार देख उनका मन आहत था जिसे दूर करने की हसरत प्रारम्भ से ही मन मे बनी हुई थी इसलिए वह उच्च शिक्षा के लिए काशी विद्यापीठ मे प्रवेश लिया वह जानत थे कि समाज की इस बुराई को दूर करने के लिए राजनीति करना जरूरी है इसलिए वह काशी विद्यापीठ मे ही छात्र राजनीति करना प्रारम्भ कर दिया। अपनी बहुमुखी प्रतिभा और राजनीतिक कुशलता के दम पर वह छात्र संगठन मे मंत्री बनाये गये अब राजनीति की ककहरा सीखने का दौर प्रारम्भ हो गया था और उनका हौसला और अनुभव दोनो मे इजाफा होने लगा था। उस समय राजनीति की मुख्यधारा से जुडने के लिए वह पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मंझवा विधानसभा के टिकट मांगने के लिए गये लेकिन जातिवाद की तासीर ने भागवत पाल को फिर से निराश किया उन्हे अपमानित कर टिकट देने से इंकार कर दिया गया लेकिन उन्होने हौसला नही खोया क्योकि संकल्प की मजबूत दीवार उन्होने विचारो की मिट्टी से सानकर बनाई थी।


भागवत पाल की कार्यशैली और उनकी विचारधारा से काशिराम भी हुए थे कायल

उसी समय  भागवत पाल की  बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक काशीराम जी से मुलाकात हुई । काशीराम  भागवत पाल की कार्यशैली और उनकी विचारधारा से काफी प्रभावित हुए और उन्हे चुनाव लडने का टिकट दिया लेकिन अभी उनकी कठिनाई की परीक्षा समाप्त नही हुई थी वह महज 54 वोटो से चुनाव हार गये। ऐसे हालात मे भी उन्होने धीरज नही खोया और संघर्ष के पथ पर चलने की ठानी

एक दलित के अत्याचार के खिलाफ सात दिनो तक जेल मे रहे 


सन् 1991 मे वह फिर से चुनाव लडे इस बार वह मंझवा से विधायक बनकर विधानसभा पहुंच चुके थे । उनकी हुंकार और लोगो को प्रभावित करने की ताकत से काशीराम ने उन्हे प्रदेश महासचिव बना दिया। मझवा विधानसभा में एक दलित के साथ हुए पुलिसिया अत्याचार के खिलाफ जेल भरो आंदोलन किया 586 लोगों के साथ 7 दिन तक मिर्जापुर जिला कारागार में राजनीतिक बंदी रहे राजनीतिक उठापटक के बीच 1993 मे फिर से मध्यावधि चुनाव हुए जिसमे जनता ने इन्हे फिर से अपने आंखो का तारा बनाकर विधानसभा भेजा । उस समय राजनीतिक घटनाक्रम मे बसपा का सपा के साथ गठबंधन टूट गया और भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर बसपा ने सूबे मे सरकार बनाई। 27 जून 1995 का वह ऐतिहासिक दिन था जब भागवत पाल ने मायावती मंत्रिमंडल मे शामिल होकर राज्यमंत्री के रूप मे शपथ लिया यह महज शपथ नही था इस बात की मुनादी थी कि संघर्षो के साये मे भी रहकर बडा से बडा मुकाम हासिल किया जा सकता है।


साजिश और शियासत के शिकार मे समाज का भी शिकार हुआ                                  

आज तक समाज राजनीतिक शियासत मे उबर नही सका

उन्हे प्रदेश मे उत्तराखण्ड विकास के साथ साथ दुग्ध विकास विभाग की जिम्मेदारी मिली लेकिन तीन माह बाद फिर से सरकार गिर गई लेकिन भागवत पाल का राजनैतिक कद बढ गया काशीराम ने इन्हे 31अक्टुबर 1996 को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। काशीराम की मंशा थी कि इन्हे विधानपरिषद भेज कर इनसे सेवा ली जाय लेकिन मायावती की जिद के सामने वह हार गये और काशीराम के मना करने के बावजूद वह मजमा विधानसभा से नामांकन किया लेकिन वह चुनाव हार गये । उस समय प्रदेश मे किसी भी दल को बहुमत नही मिला था’ मुलायम सिंह के संदेशवाहक बनकर वह मायावती से मिले और मुलायम सिंह का संदेश कहा कि अगर मायावती खुद मुख्यमंत्री न बने तो वह समर्थन कर सकते है। बस यही वह घटना थी जहां से साजिश और सियासत ने मिलकर भागवत पाल और पाल समाज के नेतृत्व की धार को कुन्द करने का काम किया। मायावती को अंदेशा हुआ कि भागवत पाल खुद मुंख्यमंत्री बनना चाहते है इसलिए मायावती भागवत जी से नफरत करने लगी। 1997 मे बीजेपी और बसपा की मिलीजुली सरकार बनी । भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के मंत्री बनने और भागवत जी से भेदभाव करने पर मीडिया बंधुओ ने जब मंत्री न बनाये जाने पर भागवत से सवाल दागा तो उन्होने कहा कि मंत्री तो महज विभाग देखता है और प्रदेश अध्यक्ष पूरा प्रदेश देखता है बस यही बात मायावती को नागवार गुजरी और काशीराम को बिना किसी सूचना के छल करते हुए भागवत पाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया। काशीराम ने उस समय भागवत जी को राष्ट्रीय सचिव बना दिया जिसे लेकर मायावती चिढ गई और लखनउ स्थित उनके सरकारी आवास से उनका सामान फेंककर अपनी नाराजगी जाहिर किया। लेकिन एक स्वाभिमानी व्यक्तित्व को कहां तक यह अपमान बर्दाश्त होता वह 10 अक्टूबर 1997 को पिछडा समाज पार्टी का गठन कर लिया। सन 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान वह मुलायम सिंह के साथ हो गये और समाजवादी पार्टी मे प्रदेश उपाध्यक्ष बनाये गये। 2002 के विधानसभा चुनाव मे समाजवादी पार्टी ने मझवां विधानसभा से उन्हे टिकट दिया लेकिन वह चुनाव नही जीत सके । 12 सितम्बर 2004 को वह दुनिया को अलविदा कह दिया और अपने विचारपुंज को एक नई सीख के साथ छोड दिया।

आज भी नई प्रेरणा देते है भागवत पाल के विचार


भागवत पाल के विचार आज भी पिछडे समाज को नई प्रेरणा देते है। उनका अदम्य साहस और कुछ कर गुजरने की सीख आने वाली पीढियो को हमेशा सीख देती रहेगी। वह सिर्फ पाल समाज के नेता नही थे बल्कि जुल्म और ज्यादिती सहने वाले तबके के सच्चे मसीहा थे।


अपमान पर भी नही डिगे थे भागवत पाल

सामान्य रूप से किसी चीज की शुरूआत मे अपमान का घूट पीने के बाद लोग टूट जाते है और खुद और भगवान को कोसना शुरू कर हिम्मत हार जाते है लेकिन भागवत पाल ऐसे अडिग पुरूष थे जो रास्ते तो जरूर बदलते थे मगर उनकी मंजिल हमेशा उनके तय किये निर्णय पर जाकर रूकती थी। छात्र राजनीति से जुडने के बाद जब वह जनता दल के मुखिया के पास टिकट मांगने के लिए गये तो उन्हे यह कहकर अपमानित किया गया कि जिस समाज से वह आते है उस समाज के लोग कभी ग्राम पंचायत का चुनाव भी नही जीत पाये है तो विधानसभा कैसे जीत पायेगे । यह वही चौधरी चरण सिंह थे जो बाद मे देश के प्रधानमंत्री बने लेकिन देश की बागडोर अपने हाथो मे लेकर चलाने वाले उस प्रधानमंत्री को नही पता था कि भागवत पाल हर कोई नही होता है जब वह भागवत पाल से यह बात कह रहे थे उस समय उनके चेहरे पर मधुर मुस्कान थी क्योकि वह जानते थे कि उन्हे विधानसभा पहुंचने से कोई रोक नही पायेगा 

भागवत पाल के छह बच्चे है

भागवत पाल के चार पुत्र रत्न हुए जिन्होंने अपने पिता के विचारों को हमेशा आत्मसात किया। बड़े पुत्र भारत सिंह पाल प्रयागराज हाई कोर्ट में वकालत के माध्यम से समाजसेवा में लगे है। जय सिंह पाल मिर्जापुर सिविल कोर्ट में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी में निवर्तमान जिला महामंत्री के रूप में अपनी सेवा दे रहे है। विजय सिंह पाल पेशे से व्यवसायी है ईन्जि उदय सिंह पाल लोक निर्माण विभाग दिल्ली में कार्यरत है।


भागवत पाल विचार मंच

Wednesday, September 9, 2020

भारतीय इतिहास के महान नायक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शीतल पाल

 राष्ट्रीय समाज के अमर शहीद शीतल पाल जी की जयंती पर शत-शत नमन

राष्ट्रीय समाज के अमर शहीदों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता

       

    राष्ट्रीय समाज के एक भेड़ पालक चरवाहा की अमर कहानी जो कहानी ही मात्र नहीं बल्कि वास्तविक रूप से अपने लग्गे के माध्यम से घोड़े के पैर में फंसा कर आग्रेजो का सर कलम कर दिया। 

  देश की आजादी की लड़ाई में महान भूमिका निभाने वाले 

भारतीय इतिहास के महान नायक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 1857  क्रांति की लड़ाई में शहीद होने वाले आखिर वह कौन थे राष्ट्रीय समाज के शहीद शीतल पाल 1857 की क्रांति में जिले के पाली में अंग्रेज अफसरों को मारे जाने में राष्ट्रीय समाज के शीतल पाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 



बताया जाता है कि उस दौरान जिले में अंग्रेजो द्वारा किसानों की खेतों पर कब्जा कर जबरन नील की खेती कराई जाती थी। और किसान भाइयों को एवं आम नागरिक को प्रताड़ित किया जाता था इस दौरान शहीद झूरी सिंह ने इसका विरोध करना शुरू किया। विरोध से आक्रोशित अंग्रेजो ने झूरी सिंह के बड़े भाई को फांसी दे दी । और झूरी सिंह पर इनाम रख दिया। इस दौरान अंग्रेज अफसर रिचर्ड म्योर अपने सहयोगियों के साथ पाली पहुंचा, जहां झूरी सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ रिचर्ड म्योर का पीछा किया। घोड़े पर सवार रिचर्ड म्योर भागने लगा और झूरी सिंह उसका पीछा करते रहे। तभी राष्ट्रीय समाज के भेड़पालक शीतल पाल खेत मे अपने जानवर भेड़ों को चरा रहे थे उन्होंने तत्काल अपने लग्गे,जिससे भेड़ो के चारे की व्यवस्था करते थे से अंग्रेज अफसर के घोड़े के पैर में फंसा दिया।  जिसके बाद रिचर्ड म्योर नीचे गिर पड़ा तत्काल तलवार से उसका सर कलम कर दिया। 


राष्ट्रीय समाज के भेड़ पालक का योगदान देश और राष्ट्र के लिए बहुत ही अतुलनीय रहा है जब भी राष्ट्र देश की बात हुई क्या फिर  राष्ट्रीय समाज के चरवाहो ने  हमेशा अपने आप को न्योछावर और बलिदान देने का काम किया है। ऐसे राष्ट्रीय समाज  में कई सारे उदाहरण है चाहे वह स्वतंत्र संग्राम सेनानी क्रांतिवीर संगोल्ली रायना हो या बाबू जोखई राम पाल जी रहे चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राष्ट्रीय समाज के शीतल पाल जी चाहे वह  देश की आजादी की लड़ाई में शहीद होने वाले  राष्ट्रीय समाज के प्रेम सिंह गडरिया/धनगर  जी हो क्या अन्य तमाम ऐसे सैकड़ों लोग देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दिया है। लेकिन कहीं ना कहीं इस भारत देश के बड़ी अजीब विडंबना है  कि राष्ट्रीय समाज के  इतिहास को दबाए जाने की साजिश रची गई। खास विशेष जाति के लोगों को ही सामने लाया गया  तमाम दबे कुचले शोषित वंचित राष्ट्रीय समाज के तमाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को कभी सामने नहीं लाया गया।

   


     स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अमर शहीद राष्ट्रीय समाज के नायक शीतल पाल जी  को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए शत् शत् नमन करता हूं 👏👏👏।

Tuesday, September 8, 2020

यशवंत सैनिकांचा एकता कपुरच्या बंगल्यावर निशाना






संपूर्ण समाजाची माफी मागावी अन्यथा एकता कपुरला मुंबईत फिरू देणार नाही ; यशवंत सेना सरसेनापतीनीं खडसावले



मुंबईभारतातील पहिल्या आदर्श महिला राज्यकर्त्या महाराणी अहिल्यादेवी होळकर यांच्या नावाचा वापर करत अपमानजनक चित्रीकरण केल्याने संपूर्ण हिंदुस्थानात  रोष व्यक्त करण्यात येत आहे. आज मुंबई शहरात     यशवंत सेना सरसेनापती माधव गडदे यांच्या नेतृत्वात यशवंत सैनिकानी एकता कपुरच्या बंगल्याला लक्ष्य करुन जोरदार निशाना साधला आहे.  सरसेनापती माधवभाऊ गडदे यांनी तीव्र शब्दात एकता कपूर व बालाजी फिल्मला खडसावले आहे. हिंदुस्थानात हजारो मंदिर उभरणाऱ्या अहिल्यादेवींच्या नावाचा वापर करण्यापेक्षा एकता कपुरने तीच्या आईचे नाव वेबसीरिज मध्ये वापरावे. संपूर्ण समाजाची माफ़ी मागावी, अन्यथा एकता कपुरला मुंबईत फिरू देणार नसल्याचा इशारा श्री. गडदे यांनी दिला आहे.

Sunday, September 6, 2020

पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होळकर यांच्या इतिहासाचा विस्तृतपणे शासनाच्या पाठ्यपुस्तकात समावेश करावा : ओबीसी नेते तथा जेष्ठ धनगर समाज नेते प्रकाश आण्णा शेंडगे यांची मागणी

 


पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होळकर यांच्या इतिहासाचा विस्तृतपणे महाराष्ट्र शासनाच्या पाठ्यपुस्तकात समावेश करावा.ओबीसी नेते तथा जेष्ठ धनगर समाज नेते प्रकाश आण्णा शेंडगे यांची शिक्षणमंत्री वर्षा गायकवाड यांच्याकडे मागणी


राजमाता,पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होळकर यांनी अखंड हिंदुस्थानभर लोककल्याणकारी कार्य करून संपूर्ण देशासमोर एक आदर्श ठेवला आहे.काश्मीर पासून ते कन्याकुमारी पर्यत त्यांनी बारवा,घाट,धर्मशाळा,तलाव,पूल तसेच मंदिरांचा निर्माण,जीर्णोद्धार यांसारखे असंख्य लोककल्याणकारी कार्य केली आहेत.

आपल्या महाराष्ट्रातील चौंडी ता.जामखेड या छोट्याशा गावातून इंदोर-मध्यप्रदेश येथे जाऊन,तिथली राणी बनून संपूर्ण देशभर कार्य करणारी महाराणी म्हणून संपूर्ण महाराष्ट्रवासीयांना त्यांचा अभिमान असायला हवा असे मत प्रकाश आण्णा शेंडगे यांनी शिक्षणमंत्र्यांसमोर मांडले.


अहिल्यादेवींनी सर्व जाती-धर्मासाठी कार्य केले आहे,त्यांच्या कार्याचा गौरव करण्यासाठी व येणाऱ्या नवीन पिढीला त्यांचा इतिहास वाचून प्रेरणा घेण्यासाठी अभ्यासक्रमात समावेश करावा अशी मागणी प्रकाश शेंडगे यांनी केली.


या भेटीदरम्यान शिक्षणमंत्री वर्षी गायकवाड यांनी सांगितले की पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होळकर यांच्या कार्याचा आम्हाला सार्थ अभिमान आहे,समस्त स्त्री जातीसाठी त्यांचे कार्य आदर्शवत आहे.शिक्षण संचालकांना सांगून याविषयीचे ताबडतोब आदेश देण्यात येतील,याचे त्यांनी ठोस आश्वासन दिले.

Wednesday, September 2, 2020

कविता हा बाबासाहेब कोकरे यांचा आनंद आहे - प्रा. प्रवीण दवणे (प्रसिद्ध कवी, गीतकार)

 


कवी श्री.बाबासाहेब कोकरे यांचा 'इन्द्रधनु' हा काव्यसंग्रह नावाप्रमाणे भावनांचे सप्तरंग जपणारा आहे. त्यांनीच म्हटल्याप्रमाणे 'अतुट प्रीतीचे' असे रंग त्यात आहेत. कधी वेदना, कधी आनंद, कधी निसर्ग सौंदर्य ; अशा अनेकविध छटांचे दर्शन घडविणारे असे हे सप्तरंग आहेत. 'वाट' सारख्या कवितेत जीवनातील खाचखळग्यांचे दर्शन आहे. 'पिकल पान ' मधून वार्धक्याने व उपेक्षेने दुःखी झालेल्या जीवाची कथा - व्यथा आहे. 'माझ बैलं' मधून आपल्या लाडक्या खिल्लारी जोडीचं कौतुक आहे. 'उघड्य नेत्रांनी' सारख्या कवितेतून सामाजिक आशय भेदकपणे व्यक्त झालेला दिसतो. 'धुळदेव गावात ' ही अगदी वेगळी, लोकगीताच्या अंगाने जाणारी कविता कवी श्री. बाबासाहेब कोकरे लिहितात. ' सांबर ' मधून एका देखण्या सांबराचे सुरेख शब्दचित्र साकारले जाते.   

 '            संवेदना आव्हान करणाऱ्या -                             '                        असा रंग सुगंध धुंद होऊन                                   '              निळ्या निळ्या सुंदर डोळ्यांत                              '                        डोळंभर भरला तर...                       

  अशा उत्कट ओळीही बाबासाहेब लिहून जातात. कविता हा बाबासाहेब कोकरे यांचा आनंद आहे. त्या आनंदानेच त्यांचे  ' इंद्रधनु '  साकारले आहे. पुढील प्रवासात अनेक सूक्ष्म तरल हुरहुरीचा वेध घेणाऱ्या अधिक समर्थ कविता ते लिहितील अशी आशा आहे. त्यांच्या या कवितासंग्रहाला माझ्या अगदी मनापासून शुभेच्छा!          '       

  -  प्रा. प्रवीण दवणे ( सुप्रसिद्ध कवी, गीतकार )

विश्वाचा यशवंत नायक माहे : जून 2025

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